सन 1943 में प्रदर्शित हिंदी फिल्म 'रामराज्य' जो अनेक मामलों में विशिष्ट है
यूं तो श्री राम की कथाओं के आधार पर बहुत सी फिल्मों का निर्माण हुआ है लेकिन सन 1943 में बनी लोकप्रिय हिन्दी फ़िल्म 'रामराज्य' की बात ही कुछ और है।
जैसा कि फ़िल्म के नाम से ही स्पष्ट है, इसकी कथा का केंद्र रावण वध और लंका विजय के बाद श्री राम के अयोध्या लौटकर राज गद्दी संभाल लेने के बाद की घटनाएं हैं।
इस फ़िल्म के निर्माता-निर्दर्शक जाने माने फिल्मकार विजय भट्ट थे। फ़िल्म में प्रमुख भूमिकाएं निभाई थीं उन दिनों के नामी अभिनेता प्रेम अदीब, शोभना समर्थ (जो जानी मानी फ़िल्म अभिनेत्रियों नूतन और तनुजा की मां और काजोल की नानी थीं), चंद्रकांत, उमाकांत, जी. बद्रीप्रसाद, अमीरबाई कर्नाटकी, यशवंत, मधुसूदन और शांता कुमारी ने।
कहते हैं कि विजय भट्ट की सलाह पर और श्रद्धा भक्ति के कारण फ़िल्म के निर्माण के दौरान प्रेम अदीब ने शराब पीने और धूम्रपान करने से परहेज़ किया।
सन 1943 में प्रदर्शित इस फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस में बहुत सफलता प्राप्त की। धन कमाने की दृष्टि से यह सन 1943 की तीसरी सबसे अधिक सफल फ़िल्म थी।
'राम राज्य' ऐसी एकमात्र हिंदी फिल्म है जिसे स्वयं महात्मा गांधी ने देखा था। महात्मा गांधी को फिल्मों में कोई रुचि नहीं थी। अपने जीवन में उन्होंने केवल दो फिल्में देखी थीं। एक, अंग्रेजी फ़िल्म 'मिशन टू मॉस्को'और दूसरी 'राम राज्य'। सन 1945 में जब गांधीजी बम्बई आये हुए थे, तब निर्माता-निर्दर्शक विजय भट्ट ने उनके लिए फ़िल्म 'राम राज्य' का विशेष शो आयोजित करवाया। अपनी व्यस्तताओं के कारण गांधीजी ने पूरी फिल्म तो नहीं देखी पर लगभग 90 मिनट तक उसे देखा। उस दिन गांधीजी का मौन व्रत भी था।
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