Friday, October 22, 2021

अमर फ़िल्म बात एक फ़िल्म की

आज चर्चा करेंगे मेहबूब खान निर्देशित संगीतमय फिल्म अमर की। 1954 में आई इस फ़िल्म को अपने अभिनय से सँवारा दिलीप कुमार, मधुबाला, निम्मी, मुकरी व मुराद जी ने। शुरआत में मधुबाला की जगह मीना कुमारी जी इस फ़िल्म में थी, मीना जी को निज़ी कारणों से शूटिंग छोड़नी पड़ी, फिर दिलीप कुमार के आग्रह पर मधुबाला को लिया गया। फ़िल्म की कहानी विवादास्पद होने के कारण अलोचना का सामना करना पड़ा। 

शक़ील बदायुनी जी के बोलों को सँगीत दिया नौशाद जी ने। गीतों को स्वरबद्ध किया रफ़ी साहब, लता जी व आशा जी ने। फ़िल्म के गीत संगीत को बहुत पसंद किया गया। गीत इस प्रकार थे...

1. इंसाफ का मंदिर है ये भगवान का घर है
2. तेरे सदके बलम , ना कर कोई ग़म
3. ना शिक़वा है कोई, ना कोई गिला है
4. ना मिलता ग़म तो बर्बादी के अफ़साने कहाँ जाते
5. उमंगों को सखी पी की नगरिया कैसे ले जाऊं
6. जाने वाले से मुलाक़ात ना होने पाई
7. एक बात कहूँ मेरे पिया सुनले अगर तूँ
8. खामोश है खेवनहार मेरा, नैया मेरी डूबी जाती है
9. उड़ी उड़ी छाई घटा, जिया लहराये
10. राधा के प्यारे कृष्ण कन्हाई, तेरी दुहाई

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