Sunday, October 24, 2021

मिर्जा गालिब

आज बात करेंगे ग़ालिब साहब की गज़लों से सुसज्जित फ़िल्म मिर्ज़ा ग़ालिब की। 1954 मैं प्रदर्शित इस फिल्म का निर्माण व निर्देशन किया सोहराब मोदी जी ने। कहानी लिखी राजेंद्र सिंह बेदी जी ने। मुख्य भूमिकाएं निभाई भारत भूषण, सुरैया, निगार सुल्ताना, दुर्गा खोटे, मुकरी, मुराद, उल्हास व कुमकुम जी ने। अखिल भारतीय सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रपति का स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ। प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने सुरैया जी के ग़ज़ल गायन और उनके अभिनय की विशेष रूप से सराहना की।

सँगीत रचना ग़ुलाम मोहम्मद साहब व गायन सुरैय्या जी, रफ़ी साहब व तलत महमूद जी का। गीत इस प्रकार थे...

1. दिल ए नादान तुझे हुआ क्या है आखिर इस दर्द की दवा क्या है?
2. कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज ए बयां और
3. रहिये अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई ना हो
4. नुक्ताचीं है ग़म-ए-दिल उसको सुनाये ना बने
5. ये ना थी हमारी क़िस्मत के विसाल-ए-यार होता
6. आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
7. इश्क़ मुझको नहीं वहशत ही सही, मेरी वहशत तेरी शौहरत ही सही
8. फिर मुझे दीद-ए-तर याद आया
9. गंगा की रेती पे बंगला छवाय दे, सैंया तेरी खैर होगी
10. हमने माना के तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन, ख़ाक हो जाएंगे हम तुझको ख़बर होने तक
11. सज़दे में है सर, तुझपर है नज़र, शिकवे भी जुबां तक आ पहुंचे

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