Sunday, October 24, 2021

हिंदी फिल्मों के पहले सुपर स्टार खलनायक और एक शानदार एथलीट - के एन सिंह

Old is Gold - 24
 हिंदी फिल्मों के पहले सुपर स्टार  खलनायक और एक शानदार एथलीट - के एन सिंह
  (1908-2000)
 
अगर आपसे हिंदी फिल्मों के ऐसे खलनायक का नाम पूछा जाये जो जब सूटेड बूटेड होकर, ओवर कोट पहने, सिर पर हैट लगाए और होठों के बीच सिगार दबाये सुनहरे पर्दे पर आता था और बगैर चीखे चिल्लाये अपनी आँखों के माध्यम से भौहों को चढ़ा कर खलनायकी का अभिनय करता था तो आपको केवल और केवल एक ही नाम याद आयेगा - कृष्णा निरंजन सिंह याने के एन सिंह।

के एन सिंह ने चालीस के दशक से 70 के दशक तक लगभग 250 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। 1947 तक खलनायकी में उनका कोई तगड़ा प्रतिद्वंद्वी नहीं था। भारत के स्वतंत्र होने के बाद लाहौर से प्राण साहब और जीवन के आने के बाद इनमें एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा देखने मिली पर इन्होंने अपनी स्टाइल को नही बदला। इन्होंने कभी खलनायक के रूप में चीखना चिलाना नही किया। इनका एक डायलॉग बहुत कॉमन था - "अपनी बकबास बंद करो, गधे कहीं के।''

एक अच्छे अभिनेता होने के साथ-साथ के एन सिंह बहुत अच्छे एथलीट थे। जैवलिन थ्रो के लिए 1936 के बर्लिन ओलंपिक के लिए उनका भारतीय टीम में चयन हो गया था परंतु पारिवारिक कारणों से वे ओलंपिक में भाग लेने नहीं जा सके थे।

के एन सिंह रजत पर्दे पर भले ही खलनायक थे पर निजी जिंदगी में वे एक  बेहतरीन इंसान थे।  वे सदा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते थे। उनका मानना था कि फिल्म इंडस्ट्री से जितना लिया है उतना ही वापस करते चलो ना जाने कब अंतिम समय आ जाए।

के एन सिंह ने उस समय के लगभग सभी महान अभिनेताओं के साथ काम किया और वे सभी उनके अभिनय का लोहा मानते थे। 


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