Tuesday, November 9, 2021

कामिनी कौशल

#यादगार_कलाकार

#कामिनी_कौशल 
जन्म - 16 जनवरी 1927 

हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। वह नीचा नगर (1946) और बिराज बहू (1954) जैसी फिल्मों में अपनी भूमिकाओं के लिए विख्यात हैं। नीचा नगर ने 1946 में कान फ़िल्मोत्सव में पामे डी'ओर को जीता जबकि बिराज बहू के लिये उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला।
उन्होंने 1946 से 1963 तक फिल्मों में मुख्य नायिका की भूमिका निभाई, जिसमें दो भाई (1947), शहीद (1948), ज़िद्दी (1948 फिल्म), शबनम (1949), नदिया के पार (1948), पारस (1949), नमूना (1949), आरजू (1950), झांझर (1953), आबरू (1953), नाइट क्लब (1958), जेलर (1958), बडे सरकार और गोदान (1963) को उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन माना जाता है।
उन्होंने 1963 से चरित्र भूमिकाएँ निभाईं।

#व्यक्तिगत_जीवन
कामिनी कौशल का जन्म लाहौर में उमा कश्यप के रूप में हुआ था। दो भाइयों और तीन बहनों में वह सबसे छोटी थी। वह केवल सात वर्ष की थी जब उनके पिता की मृत्यु 26 नवंबर 1934 को हुई थी। कामिनी के विवाह के बाद 3 बेटे हुए, राहुल, विदुर और श्रवण।

#फिल्मी_सफर
चेतन आनंद ने उन्हें अपनी फिल्म नीचा नगर में प्रमुख नायिका की भूमिका दी। इसके बाद, वह लाहौर लौट आईं, लेकिन और फिल्मों के प्रस्ताव आने लगे, इसलिए वह लाहौर से फिल्मांकन के लिए आती थीं। 1947 में उनकी अचानक शादी के बाद, वह अपने पति के साथ बम्बई में बस गईं। वह अपनी शादी के बाद भी मुख्य नायिका के रूप में काम करना जारी रखने वाली पहली अग्रणी नायिका बनी।
1965 में, वह शहीद नामक फिल्म के साथ चरित्र भूमिकाएं निभाने लग गईं। वारिस, विश्वास, यकीन, आदमी और इंसान, गुमराह, उपहार, कैद, भँवर, ताँगेवाला और हीरालाल पन्नालाल में उनके अभिनय को सराहा गया। चरित्र कलाकार के रूप में वह मनोज कुमार की सात फिल्मों में काम की - शहीद, उपकार, पूरब और पश्चिम, सन्यासी, शोर, रोटी कपड़ा और मकान, दस नम्बरी और संतोष।
कामिनी कौशल ने 1974 में प्रेम नगर और 1976 में महा चोर में राजेश खन्ना की माँ और दो रास्ते में भाभी की भूमिका निभाई।

#नामांकन_और_पुरस्कार

फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार

1956 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार - बिरज बहू

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