Sunday, November 7, 2021

भूपेन हजारिका 8 सितम्बर b 5 नवम्बर d

#भूपेन_हजारिका

जन्म -  ८ सितम्बर  १९२६
निधन - ५ नवम्बर  २०११
ग्रेट संगीतकार, गीतकार, गायक, कवी, शायर, फिल्ममेकर

भूपेन हजारिका का जन्म 8 सितंबर 1926 को असम में हुआ था। हजारिका 10 भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। अपनी मां को देखकर उन्हें गाने की प्रेरणा मिली थी। भूपेन का बचपन गुवा‌हाटी में बीता। 10 साल की उम्र में वो असमिया भाषा में गाने गाते थे। फिल्म मेकर ज्योतिप्रसाद अग्रवाल ने उनकी आवाज सुनी और उन्हें वो बहुत पसंद आए। साल 1936 में कोलकाता में भूपेन ने अपना पहला गाना रिकॉर्ड किया था।

हजारिका ने ज्योतिप्रसाद की फिल्म 'इंद्रमालती' में दो गाने गाए थे। मात्र 13 साल की उम्र में हजारिका ने अपना पहला गाना लिखा था। यहीं से उनके सिंगर, कंपोजर और लिरिसिस्ट बनने का सफर शुरू हो गया ‌था। वर्ष 1942 में भूपेन ने आर्ट से इंटर की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से उन्होंने एमए किया। 

पढ़ाई पूरी होने के बाद हजारिका ने गुवाहाटी में ऑल इंडिया रेडियो में गाना शुरू कर दिया। इसके साथ हजारिका बंगाली गानों को हिंदी में ट्रांसलेट कर उसे अपनी आवाज देते थे। हजारिका को कई भाषाओं का ज्ञान था। समय बीतने के साथ वो स्टेज परफॉर्मेंस भी देने लगे। एक बार वो कोलंबिया यूनिवर्सिटी गए। यहां उनकी मुलाकात प्रियम्वदा पटेल से हुई। दोनों में प्यार हुआ और यूएस में ही साल 1950 में दोनों ने शादी कर ली।

1952 में उनका बेटा तेज हजारिका हुआ। 1953 में हजारिका अपने परिवार के साथ भारत लौट आए लेकिन दोनों ज्यादा समय तक साथ नहीं रह पाए। भारत आकर हजारिका ने गुवाहाटी यूनिवसिर्टी में टीचर की जॉब की। बहुत समय तक वो टीचर की नौकरी नहीं कर पाए और रिजाइन दे दिया। 

पैसों की तंगी की वजह से उनकी पत्नी प्रियम्वदा ने उन्हें छोड़ दिया। इसके बाद हजारिका ने म्यूजिक को ही अपना साथी बना लिया। उन्होंने 'रुदाली', 'मिल गई मंजिल मुझे', 'साज', 'दरमियां', 'गजगामिनी', 'दमन' और 'क्यों' जैसी सुपरहिट फिल्मों में गीत दिए। हजारिका ने अपने जीवन में एक हजार गाने और 15 किताबें लिखीं। इसके अलावा उन्होंने  स्टार टीवी पर आने वाले सीरियल 'डॉन' को प्रोड्यूस भी किया था।

म्यूजिक के क्षेत्र में उनके अद्भुत योगदान के लिए उन्हें 1975 में  राष्ट्रीय पुरस्कार और 1992 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें 2009 में असोम रत्न और इसी साल संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड, 2011 में पद्म भूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उनके यादगार गानों में 'दिल हूं हूं' और 'जूठी मूठी मितवा' है।

पुण्यतिथी अवसर विनम्र अभिवादन🙏🌹

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