














फ्लैश बैक------
स्मरण दिवस पर विशेष-3 मई.
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नरगिस का नाम सुनते ही पुराने लोगों के सपनों में घुस जाना है. 60-70 के दशक में नरगिस होने का मतलब आप दिलों की धड़कन, सपनों की शहजादी और भारतीय नारी का प्रतिनिधित्व करने वाली ऐसी अदाकारा के बारे में बात कर रहे हैं जो पूरे भारत वर्ष में सम्मान का प्रतीक थीं. पुराने लोगों से मतलब सफेद बालों में सिमटा अनुभव है जिसे नरगिस का जमाना देखने का शहूर मालूम है. आज भी इन अनुभवी लोगों से नरगिस के बारे में बात की जाए तो अजीब सी दिलकश मुस्कुराहट होठों पर तैर आती है. नरगिस भारत वर्ष की पहली ऐसी नायिका थीं जिसनें न सिर्फ नारी सम्मान को प्रतिस्थापित किया बल्कि फिल्मों में नारी की मौदूजगी को भी ऊँचाइयों पर ले गई थीं.
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नरगिस को खूबसूरत कहने में जुबान लडख़ड़ाती है और कलम भी आनाकानी करती है. मुर्गी के अंडे जैसा चेहरा और लट्ठे जैसी सीधी सपाट काया. अपनी इस अनाकर्षता के बावजूद उसे मंजिल मिल गई. उसके पास रुप भले न हो, पर अपील थीं. उसके व्यक्तित्व में मिठास भले न हो, पर चार्म था. और खासकर उसकी अदाओं में गुलमोहर-सी दिलकश डिगनिटी थीं, इसलिए अंदाज की अंगरेजीदां नीना हो या बाबुल की गंवार उजंड्ड लड़की...नरगिस कभी चोप नहीं लगी. अभिनय क्षमता की और अपनी डिगनिटी की बदौलत वह अपनी हर न्यूनता को मात दे गई. उन दिनों मधुबाला खूबसूरती में चार चाँद लगा रही थीं. गीताबाली अभिनय कुशलता से साक्षात्कार करने लगी थीं. सुरैया अपनी आवाज का जादू बिखेर रहीं थीं. मीनाकुमारी के पास खूबसूरती और अभिनय का संगम था. इन सभी समकालीन मलिकाओं के होते हुए नरगिस ने अपने अस्तित्व का अनोखा अहसास दिखाया, अपने लिए स्वतंत्र स्थान बना लिया. विवाह के बाद उसनें परदे से तलाक ले लिया. तो उधर झांक कर भी नहीं देखा. पति की फिल्म यादें में उसका साया पर दिखाई दिया था. लेकिन रसिक दर्शकों ने साये को भी पहचान लिया था.
जब उस स्वप्न सुंदरी, जीवंत अभिनय की बेजोड़ प्रतीक, बहुमुखी प्रतिभा की धनी कलानेत्री नरगिस का 3 मई 1981 को देहावसान हुआ, तो उस समय ख्याति की जिस बुलंदी पर वह पहुंच चुकी थीं, किसी अन्य सम्मान की आवश्यकता उन्हें नहीं थीं. उस समय वह राज्य सभा की मनोनीत सदस्या थीं, पद्मश्री के अंलकार से विभूषित थीं. उन्हें अनेक फिल्मफेयर पुरस्कार अवार्ड, स्वर्ण-पदक-पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका था.
चित्रपट संसार के कला प्रेमियों के सामने जब उनकी प्रख्यात फिल्म मदर इंडिया का नाम आता है तो एक ममतामयी माँ, नरगिस का प्रभावशाली (मेकअप किया हुआ) प्रौढ़ चेहरा बरबस सामने आता है. जिसके ह्दय में एक गरीब पंरतु सशक्त स्वाभिमानी तथा न्यायप्रेमी भारतमाता (मदर इंडियां) की आत्मा के दर्शन होते है. जमींदार के अत्याचारों, कर्जो से व्यथित किसानों, भूख से पीडि़त मानव व वर्षों से अभाव में प्यासी धरती व भूखे पशुओं की दयनीय दशा की कहानी है. इस फिल्म में नरगिस ने एक प्रौढ़ता का ऐसा किरदार निभाया कि दांतो तले अंगुली दबानी पड़ती है. तब तक नरगिस का विवाह भी नहीं हुआ था. सुनील दत्त से उनके विवाह प्रसंग अथवा रोमांस का जन्म भी इसी फिल्म के फिल्माकंन के दौरान हुआ था. इसमें आग का एक सीन था लेकिन दुर्भाग्यवश आग इतनी भड़क गई कि उसनें विकराल रुप धारण कर लिया और नरगिस उसमें घिर गई. वे शायद उस आग का शिकार हो ही जाती, यदि सुनील दत्त ने अपनी जान पर खेलकर उसे बचाया ना होता. यही साहस और बलिदान देखकर नरगिस भी सुनील दत्त को अपना दिल दे बैठी और नरगिस से नरगिस दत्त बन गई.
वास्तव में नरगिस का नाम फातिमा रशीद था और माँ थीं जद्दनबाई, जो फिल्म निर्देशिका थीं. उन्हीं की संस्था में 5 वर्ष की आयु में ही एक फिल्म तलाशे हक में एक बाल कलाकार के रुप में इन्होंनें अपनी प्रतिभा का परिचय दिया. फिर नरगिस ने 14 वर्ष की उम्र में महबूब खान की फिल्म तकदीर में मोतीलाल जैसे कलाकार के साथ अभिनय किया. तकदीर सबको बहुत पसंद आई. उसके बाद नरगिस ने राज कपूर के साथ आह फिल्म में काम किया. फिर उन्होंने अंबर, मेला, अंदाज, आग, दीदार, जोगन, बाबुल, पापी, चोरी चोरी, हलचल, लाजवंती, अदालत, बरसात,श्री 420, मदर इंडिया आदि में अपने समकालीन प्रतिष्ठित नायकों दिलीप कुमार, राज कपूर, अशोक कुमार, प्रदीप कुमार, वलराज साहनी आदि के साथ काम किया. इनकी आखिरी फिल्म रात और दिन थीं, जिसमें उन्हें उत्कृष्ठ अभिनय के लिए उर्वशी एवार्ड से सम्मानित किया गया. नरगिस अंतराष्ट्रीय फिल्म समारोह में केन्द्रीय समिति में महिला अभिनेत्रियों के प्रतिनिधि के रुप में चयनित हुई थीं. मास्को में उनको राज कपूर की फिल्म श्री420 तथा परदेसी ने ख्याति दिलाई थीं.
नरगिस और राज कपूर के प्रसंग के बगैर यह आलेख अधूरा सा लगेगा, लेकिन इस प्रसंग को सीमित करने से सब बातें भी स्पष्ट नहीं हो पाएगी, इसलिए इसकी चर्चा कभी विस्तार से करेंगे.
रवि के. गुरुबक्षाणी.
गल्र्स स्कूल के सामने,स्ट्रीट न.5. रविग्राम तेलीबांधा, रायपुर छग 492006
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