Tuesday, February 16, 2010

तलत महमूद-----मैं दिल हूं इक अरमां भरा.....



फ्लैश-बैक......................................रवि के. गुरुबक्षाणी
तलत महमूद-----मैं दिल हूं इक अरमां भरा.....
(24 फरवरी-जयंती पर विशेष)
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संगीत की दुनिया भी अजीब है दोस्तों, कहते हैं संगीत मुर्दा दिलों में भी जान डाल देता है. हिंदी फिल्मी दुनियां में कई अजर अमर गायक आए जिन्होंने अपनी आवाज से लाखों करोड़ों दिलों पर राज किया. ऐसे ही एक गायक तलत महमूद जिन्हें मखमली (रेशमी) आवाज का जादूगर कहा जाता था. तलत महमूद के व्यक्तित्व की एक पंक्ति में परिभाषा करें तो कहा जा सकता है एक नेक इंसान सुंगधित धूप (अगरबत्ती)बुझ गया. भगवान ने इंसान को दिल दियाऔर इस दिल को रुलाने-तड़पाने के लिए तलत महमूद नामक मुलायम हथियार जमीन पर भेज दिया. दर्द तलत के गीतों की आत्मा है. परम सुख और दिली खुशियों से तलत का दूर का रिश्ता तक नही है. अपार दुख और व्यथा उनके गीतों का स्थायी भाव है.
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की तरह तलत महमूद को याद करने का मतलब उन दिलकश संगीत की सुर-लहरियों में खो जाना है जो आपको दुनिया जहां से अलग करती है. तलत की आवाज में दुखी बेचारी विधवा की सिसकियां छुपी है तो जमाने भर की ठोकरे खाने वाले मजनूं की बेचारगी भी शामिल है. सच में तलत अपने गीतों में दर्द, उदासी, विरह, तन्हाई, बरबादी और जमाने भर की उपेक्षा को अपनी शहद-सी लरजती आवाज के कंपन से वह मिठास भरने में सफल रहे जो कभी भी शुगर की बीमारी का कारण नहीं बन सकती. 24 फरवरी 1924 को लखनऊ (उ.प्र.) में जन्में तलत महमूद निराले एवं आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक तो थे ही, बल्कि अपने लखनवी परिवेश के बदौलत आकर्षण का केन्द्र हुआ करते थे. तलत फिल्मों में नायक बनने आए थे. उस समय चिकने चुपड़े नायको का जमाना नहीं था. इसलिए तलत ने गायकी की तरफ रुख किया.
तलत महमूद ने लखनऊ के मॉरिस संगीत विश्व-विध्यालय से संगीत की यथावत शिक्षा ग्रहण की और फिर वे स्थानीय आकाशवाणी केन्द्र पर गीत गजल गाने लगे. यह वह दौर था जब के.एल. सहगल की आवाज घर घर में गूंजा करता था. कुछ दिनों बाद एच.एम.वी. कम्पनी ने तलत को अनुबंधित कर लिया. कलकत्ता में उनका सामना संगीतकार कमलदास गुप्ता से हुआ. दोनों की जुगलबंदी जम गई. गीतकार फैयाज, संगीतकार कमलदास और तलत की गायकी र्ने तस्वीर तेरी दिल मेरा बहला न सकेगी, मैं बात करुंगा तो ये खामोश रहेर्गी... गीत बेहद मशहुर हुआ. इस गीत ने रिकॉर्ड कर नया कीर्तिमान बना दिया. वे मशहूर हो गए. उनकी कम्पन भरी आवाज उनकी निजी विशेषता बन गई. इस प्रारंभिक दौर की एक मुलाकात में संगीतकार अनिल विश्वास ने कहा था कि यह कम्पन भरी आवाज ही तलत की खूबी है, यह नहीं होगी तो कई तलत पैदा हो जाएंगे.
तलत और मुकेश के कैरियर में गजब का साम्य है. दोनों एक ही वर्ष पैदा हुए. दोनों का पहला रिकॉर्ड एक ही वर्ष बना. फिल्मों में दोनो ने अपना पहला गीत अनिल विश्वास के साथ गाया. दोनो ही दर्द भरे गीत गाने में विशेषज्ञ और माहिर थे. दोनो फिल्मों में नायक बनने आए थे. दोनो असफल रहे. अनिल विश्वास के साथ तलत की आवाज का उपयोग मदन मोहन, एस.डी.बर्मन, सी.रामचंद्र और शंकर जयकिशन ने खूब किया. तलत के ऐ दिल मुझे ऐसी जगह ले चल, जहां कोई न हो (आरजू 1950) सीने में सुलगते हैं अरमान (तराना 1951) एक मैं हूं एक मेरी बेकसी की शाम है (तराना 1951) मेरी याद में तुम आंसू बहाना (मदहोश 1951) मोहब्बत में ऐसे जमाने आए कभी रो दिए हम कभी मुस्कराए (सगाई 1951) ऐ मेरे दिल कहीे ओर चल व हमदर्द के मारों का इतना ही फसाना है (दाग 1952) जैसे गीतों ने तलत महमूद को बुंलदियों पर पहुंचा दिया. तलत के गायन की यह विशेषता रही कि वे असीम भावुक भावनाओं में बहे गीतों को अपने दिल की गहराइयों में उतारकर फिर उन शब्दों को अपनी जुबां पर लाते थे. शहद के तार में डूबी अपनी पुरअसर आवाज से तलत ने गजल गायकी में भी नित नए आयाम स्थापित किए--किसे मालुम था मोहब्बत बेजुबां होगी (साकी) किसी ने घर आके मुझे लूट लिया (परछाई) अरमान भरे दिल की लगन (जान-पहचान) जैसी गजले तलत की खनकती आवाज की पुरजोर सिफारिश करती है.
तस्वीर बनाता हूं तस्वीर नहीं बनती...(बारादरी) ये हवा ये रात ये चांदनी... (संगदिल) जाएं तो जाएं कहां...(टैक्सी ड्राइवर) अहा रिमझिम के ये प्यारे प्यारे गीत लिए... (उसने कहा था) ए सनम आज ये कसम खाएं... (जहांआरा) इतना न मुझ से तू प्यार बढ़ा के मैं इक बादल आवारा...(छाया) मैं तेरी आंख के आंसू पी जाऊं... (जहांआरा) अश्कों से जो पाया है वो गीतों में दिया है...(चांदी की दीवार ) जैसे गीतो ने तलत को अमर बना दिया है. भले ही आज के फिल्मी गीतों का ट्रेंड तलत के गीतों जैसा नहीं लगता है परंतु सही बात तो यह है कि तलत की मदभरी आवाज के अनुकूल धुन बनाने का क्षमता आज के संगीतकारों में नहीं है. पाश्र्वगायन से तलत लुप्त हो चुके है, कितुं उनकी पुरानी रचनाएं आज भी उसी चाव से सुनी जाती है. प्रेमी युगलों को रोमांस करने के लिए आज भी तलत की काव्य पंक्तियों का सहारा लेना पड़ता है.यहीं कारण है कि फिल्मों से नकारे गए तलत महमूद की संगीत जल्सों में बराबर मांग बनी हुई है.

----------रवि के. गुरुबक्षाणी.
स्ट्रीट 5, रविग्राम (तेलीबांधा) रायपुर छग 492006
मोबाईल -८१०९२२४४६८

1 comment:

  1. talat ji ke geet behad pasandida hai hamein bahoot pasand hai

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