Tuesday, December 14, 2021

शैलेन्द्र 20 अंतरे

tributes to the greatest lyricist Kaviraj Shailendra. reproducing here some of his best antaras 🙏

जो ठोकर न खाए , नहीं जीत उसकी
जो गिर के संभल जाए, है जीत उसकी
निशा मंज़िलो के , ये पैरो के छाले
कहा जा रहा है , तू ऐ जाने वाले
अँधेरा है मन का दीया तो जला ले ( seema )

ीतलती हवा नीलम सा गगन , कलियों पे यह बेहोशी की नमी
ऐसे में भी क्यों बेचैन हैं दिल , जीवन में ना जाने क्या हैं कमी
क्यों आग सी लगा के गुमसुम हैं चाँदनी
सोने भी नहीं देता मौसम का यह इशारा
यह रात भीगी भीगी , यह मस्त फिजाये
उठा धीरे धीरे , वह चाँद प्यारा प्यारा ( chori chori ) 

रात ने प्यार के जाम भर कर दिये
आँखों आँखों से जो मैं ने तुमने पिये
होश तो अब तलक़ जा के लौटे नहीं
जाने क्या ला रही है सुबह प्यार की
रात के हमसफ़र   ...( an evening in paris )

चाहत ने तेरी मुझको , कुछ इस तरह घेरा
दिन को है तेरे चर्चे , रातों को ख्वाब तेरा
तुम हो जहाँ है वहीं पर , रहता है दिल भी मेरा
बस एक ख्याल तेरा , क्या शाम क्या सवेरा
मुझे कितना प्यार है तुमसे , अपने ही दिल से पूछो तुम
जिसे दिल दिया है वह तुम हो , मेरी ज़िन्दगी तुम्हारी है ( dil tera deewana)

दिल के मेरे तुम, पास हो कितनी, फिर भी हो कितनी दूर
तुम मुझ से मैं, दिल से परेशाँ, दोनों हैं मजबूर
ऐसे में किसको, कौन मनाये , दिन ढल जाये हाये ... ( guide ) 

सितारों की महफ़िल ने करके इशारा , कहा अब तो सारा जहां है तुम्हारा
मोहब्बत जवां हो, खुला आसमां हो , करे कोई दिल आरजू और क्या
ये रातें, ये मौसम... ( dilli ka thug )

ऊपर-नीचे नीचे-ऊपर लहर चले जीवन की,  नादान है जो बैठ किनारे, पूछे राह वतन की 
चलना जीवन की कहानी रुकना मौत की निशानी 
सर पे लाल टोपी रूसी फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी

तन सौंप दिया, मन सौंप दिया , कुछ और तो मेरे पास नहीं 
जो तुम से है मेरे हमदम , भगवान से भी वो आस नहीं 
जिस दिन से हुए एक दूजे के  , इस दुनिया से अनजान है हम 
एक दिल के दो अरमान हैं हम  , ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम (sangam)

रानी के संग राजा डोले सजाते, चले जाएंगे परदेस
जब-जब उनकी याद आयेगी, दिल पे लगेगी ठेस
नैनों में होगी बरसात, अन्धेरी होगी रात , मगन मैं नाचूंगी ( aah )

दो चमकती आँखों में , कल ख्वाब सुनहरा था जितना
है जिंदगी तेरी राहों में , आज अँधेरा है उतना
हम ने सोचा था जीवन में ,  फूल चाँद और तारे हैं
क्या ख़बर थी साथ में इनके , कांटे और अंगारे हैं
हम पेह किस्मत हँस रही है , कल हँसे थे हम जितना ( detective )

कह रहा है मेरा दिल, अब ये रात न ढले
खुशियों का ये सिलसिला, ऐसे ही चला रहे
तुझको देखूँ देखूँ जिधर, फिर क्यों मुझको लगता है डर
तेरा मेरा प्यार अमर, फिर क्यों मुझको लगता है डर
मेरे जीवन साथी बता, दिल क्यों धड़के रह-रह कर ( asli naqli )

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