Tuesday, December 14, 2021

स्मिता पाटिल......17 अक्तूबर 1955, जन्म 13 दिसंबर 1986, मृत्यु

स्मिता पाटिल......

17 अक्तूबर 1955, जन्म 
 13 दिसंबर 1986, मृत्यु

इंडस्ट्री में ऐसे बहुत से कलाकार हैं, जिन्होंने भले ही बॉलीवुड नगरी में कम समय के लिए काम किया लेकिन वो छाप गहरी छोड़ गए। उन्हीं में से एक थी प्यारी सी मुस्कान रखने वाली बॉलीवुड की सीरियस स्टार स्मिता पाटिल जिन्हें लोग उनकी सीरियस एक्टिंग के लिए जानते थे। महज 10 साल के अपने फिल्मी सफर में उन्होंने खूब नाम कमाया। आज फिल्म जगत में उनके नाम पर ‘स्मिता पाटिल अवॉर्ड’ भी दिए जाते हैं। हिन्दी और मराठी अभिनेत्री स्मिता पाटिल को ‘पद्म श्री’ पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। जितनी देर उन्होंने इंडस्ट्री में काम किया सुर्खियां बटौरती रहीं हालांकि प्रोफेशेनल के साथ-साथ उनकी पर्सनल लाइफ भी लाइमलाइट में बनी रहीं और अचानक बेहद कम उम्र में वह दुनिया को अलविदा कह गई। अचानक हुई स्मिता की मौत ने पूरे बॉलीवुड को हिला कर रख दिया था। बेटे प्रतीक बब्बर के जन्म के करीब 2 सप्ताह बाद उनका निधन हो गया। 

फिल्मी करियर में बुलंदियां हासिल करने वाली स्मिता को पर्सनल लाइफ में वो खुशी नहीं मिली जैसी वो चाहती थी। उन पर किसी का घर तोड़ने के आरोप भी लगे। इसी बात को लेकर कड़ी आलोचनाएं भी हुई। उनकी मां उनसे दूर हो गईं। उनकी आखिरी इच्छा थी कि जब वह मर जाए तो उन्हें दुल्हन बनाया जाए। चलिए आज के इस पैकेज में हम आपको स्मिता पाटिल के जीवन से जुड़ी कुछ और अनसुनी बातें बताते हैं।

7 अक्तूबर 1956 में जन्मी स्मिता, महाराष्ट्र के एक बड़े घराने से ताल्लुक रखती थीं। उनके पिता उस समय महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री थे। कहा जाता है कि स्मिता की मां विद्या ताई ने उनका नाम उनकी मुस्कान देखकर ही रखा था, उनकी इसी मुस्कान के आज भी कई कायल हैं। भले ही वह बड़े घराने से ताल्लुक रखती थी लेकिन उनका लाइफस्टाइल एकदम साधारण था। फिल्मों में आने से पहले स्मिता बॉम्बे दूरदर्शन में मराठी में समाचार पढ़ा करती थीं। स्मिता को साड़ी पहनना पसंंद नहीं था उन्हें जीन्स पहनना अच्छा लगता था तो स्मिता अक्सर न्यूज़ पढ़ने से पहले जीन्स के ऊपर ही साड़ी लपेट लिया करती थीं। 

फिल्म 'चरणदास चोर' से उन्होनें फिल्मी नगरी में कदम रखा था। निर्देशक श्याम बेनेगल ने अपने एक लेख में बताया था कि वह इतनी सादी थी कि लोग पहचान ही नहीं पाते थे कि वो हीरोइन हैं। एक किस्सा बताते हुए उन्होंने कहा कि फिल्म 'मंथन' शूटिंग के दौरान जब स्मिता सेट पर आती थीं तो वह जमीन पर ही बैठ जाती थीं।  जब लोग शूटिंग देखने आते थे। तो वह सबसे पूछते थे फिल्म की हिरोइन कौन है? कोई पहचान ही नहीं पाता था कि जमीन पर बैठी हुई लड़की फिल्म की एक्ट्रेस है। यही ख़ासियत थी स्मिता की। वो जो भी करती थीं उस रोल में ढल जाती थीं।

स्मिता पाटिल की जीवनी लिखने वाली मैथिलि राव उनके बारे में कहती हैं, कि बो बहुत साधारण थीं। गंभीर दिखने वाली स्मिता असल में शरारती व मस्ती करने वाली लड़की थी। उन्हें गाड़ी चलाने का शौंक था इसलिए तो 14 -15 साल की उम्र में ही उन्होंने चुपके से ड्राइविंग सीख ली। स्मिता की पर्सनल लाइफ उतार-चढ़ाव से भरी रही। वह शादीशुदा स्टार राज बब्बर के प्यार में पड़ गई थी। स्मिता की मां, इस रिश्ते के खिलाफ थीं क्योंकि वह कहती थीं कि महिलाओं के अधिकार के लिए लड़ने वाली स्मिता किसी और का घर कैसे तोड़ सकती है। स्मिता के लिए उनकी माँ रोल मॉडल थीं। मां का फैसला उनकी जिंदगी में बहुत मायने रखता था लेकिन राज बब्बर से अपने रिश्ते को लेकर स्मिता ने अपनी मां की भी नहीं सुनी। इसी बात को लेकर मां बेटी का आपसी रिश्ता खराब हो गया।

फिल्म 'भीगी पलकें' की शूटिंग सेट से राज और स्मिता की लव स्टोरी शुरू हुई थी। स्मिता के लिए राज अपनी पहली पत्नी को छोड़ उनके साथ ही लिव-इन में रहने लगे। राज बब्बर कहते थे कि वो अपनी पहली पत्नी को तलाक देकर स्मिता से शादी कर लेंगे हालांकि ऐसा हुआ नहीं था।  स्मिता को वो धीरे-धीरे अपने फ्रेंड सर्किल से भी दूर रखने लगे थे। लिव-इन में रहते ही वह एक बेटे की मां बनी। प्रतीक के जन्म के कुछ दिनों बाद 13 दिसंबर 1986 को स्मिता का निधन हो गया। स्मिता को वायरल इन्फेक्शन की वजह से ब्रेन इन्फेक्शन हो गया था जब वो प्रतीक के पैदा होने के बाद घर आई थी तो उनकी हालात खराब होती जा रही थी लेकिन वह अस्पताल नहीं जाना चाहती थी। वह कहती थीं कि मैं अपने बेटे को छोड़कर हॉस्पिटल नही जाऊंगी। जब इन्फेक्शन बहुत बढ़ गया तो उन्हें जसलोक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया लेकिन उस समय तक काफी देर हो चुकी थी। स्मिता के अंग एक के बाद एक फेल होते चले गए। 

राज बब्बर के साथ उनका रिश्ता भी सहज नहीं रह गया था स्मिता अपने आखिरी दिनों में बहुत अकेला महसूस करती थीं। राज बब्बर जब हॉस्पिटल में पहुंचे, उस समय तक स्मिता ने ये फैसला कर लिया था की वो राज बब्बर से रिश्ता तोड़ लेंगी। स्मिता पाटिल की एक आखिरी इच्छा थी कि मरने के बाद उन्हें सुहागन की तरह मेकअप कर सजाया जाए और उनकी यह इच्छा मेकअप आर्टिस्ट दीपक सावंत ने पूरी की। स्मिता उनसे ही कहा करती थीं,  'दीपक जब मर जाउंगी तो मुझे सुहागन की तरह तैयार करना। उनकी यहीं इच्छा पूरी करने मेकअप आर्टिस्ट उनके घर पहुंचे।' वाक्या याद करते हुए उन्होंने कहा "एक बार उन्होंने राज कुमार को एक फ़िल्म में लेटकर मेकअप कराते हुए देखा और मुझे कहने लगीं कि दीपक मेरा इसी तरह से मेक अप करो और मैंने कहा कि मैडम मुझसे ये नहीं होगा। ऐसा लगेगा जैसे किसी मुर्दे का मेकअप कर रहे हैं। ये बहुत दुखद है कि एक दिन मैंने उनका ऐसे ही मेकअप किया। शायद ही दुनिया में ऐसा कोई मेकअप आर्टिस्ट होगा जिसने इस तरह से मेकअप किया हो।" 13 दिसंबर 1986 में स्मिता ने दुनिया को अलिवदा कह दिया। 
इस तरह एक बेहतरीन अदाकार बेहद कम उम्र में दुनिया को अलविदा कह गई इसी के साथ अपने बेटे के साथ वक्त बिताने की उनकी इच्छा थी अधूरी रह गई....

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